Tenali Raman Story Mahamoorakh | महामूर्ख – तेनालीराम
राजा कृष्णदेव राय होली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते थे। होली के दिन मनोविनोद के अनेक कार्यक्रम विजयनगर में होते थे। प्रत्येक कार्यक्रम के सफल कलाकार को पुरस्कार देने की व्यवस्था भी होती थी। सबसे बड़ा तथा सबसे मूल्यवान पुरस्कार ‘महामूर्ख’ की उपाधि पाने वाले को दिया जाता था।
तेनाली राम को हर साल सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार का पुरस्कार तो मिलता ही था। अपनी चतुराई और बुद्धिमानी के बल पर प्रतिवर्ष ‘महामूर्ख’ भी वही चुना जाता था।
इस तरह तेनाली राम हर वर्ष दो-दो पुरस्कार अकेले हड़प लेता था।
इसी कारण अन्य दरबारियों को प्रतिवर्ष ईर्ष्या की आग में झुलसना पड़ता था।
इस साल अन्य दरबारियों ने फैसला कर लिया था कि इस बार होली के उत्सव पर तेनाली राम का पत्ता ही साफ कर दिया जाए। उसके लिए उन्होंने एक तरकीब भी खोज ली थी।
तेनाली राम के प्रमुख सेवक को पढ़ा-सिखाकर उसके द्वारा तेनाली राम को छककर भंग पिलवा दी गई। होली के दिन इसी कारण तेनाली भंग के नशे की तरंग में घर पर ही पड़ा रहा।
दोपहर बाद जब तेनाली राम की नींद खुली तो वह घबरा गया और इसी घबराहट में भागता-भागता दरबार में पहुंच गया।
जब वह दरबार में पहुंचा, तब तक उत्सव में आधे से अधिक कार्यक्रम सम्पन्न हो चुके थे।
राजा कृष्णदेव राय उसे देखते ही डपटकर बोले-‘‘अरे मूर्ख तेनाली राम जी, आज के दिन भी भंग छानकर सो गये ?’’
राजा ने तेनाली राम को मूर्ख कहा तो सारे दरबारी प्रसन्न हो उठे। उन्होंने भी राजा की हां में हां मिलाई और बोले, ‘‘आपने बिल्कुल सत्य ही कहा महाराज। तेनाली राम मूर्ख ही नहीं बल्कि महामूर्ख है।’’
जब तेनाली राम ने सब लोगों के मुंह से यह सुना तो मुस्कराता हुआ महाराज से बोला, ‘धन्यवाद महाराज, आपने अपने श्रीमुख से मुझे महामूर्ख घोषित करके आज के दिन का सबसे बड़ा पुरस्कार तो मेरे लिए सुरक्षित कर ही दिया है।’’
तेनाली राम के मुख से यह सुनते ही दरबारियों को अपनी भूल का पता चल गया।
किन्तु वे अब कर भी क्या सकते थे ? क्योंकि वे स्वयं ही अपने मुख से तेनाली राम को महामूर्ख बता चुके थे।
होली के अवसर पर ‘महामूर्ख’ का पुरस्कार तेनाली राम हर साल की तरह फिर झपट ले गया।
(बिस्वरूप रॉय चौधरी)
Tenali Raman Story Mahamoorakh | महामूर्ख – तेनालीराम
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