यह बहुत पुराने समय की बात है। अखंड भारत के एक राज्य में महेंद्र वर्मा नाम का राजा हुआ करता था। वह राजा बड़ा ही नेक दिल था उसके राज्य में कोई भी समस्या हो तो वह तुरंत उसका हल निकालता था। मगर उसकी रानी बड़ी दुखी रहती थी।
जिसका कारण था। उनकी कोई अपनी संतान नही थी।
राजा भी जे बात बहुत अछि तरह से जनता था। कि रानी बड़ी ही दुखी रहती है।
धीरे धीरे जे बात सारे राज में फैल गई। कि राजा और रानी बड़े दुखी रहते है।
किउंकि उनकी कोई संतान नही थी।
माग़र राजा कभी भी अपना दुख किसी को नही बताते थे। और राज का पूरा धयान रखते थे।
एक दिन राजे के पास एक साधु आया और राजे को कहा राजन में बहुत दूर से आया हूँ।
और मेने तुम्हरे राज के हर गांव घूम कर देखा है।
तुम्हारे राज में सभी खुश है।
सिवा आपके, इस लिये में तुम्हे एक टोकरी देने आया हूँ।
जे टोकरी कोई साधारण टोकरी नही है।
इस मे जो भी चीज़ तुम डालोगे वो एक से दो हो जाएंगे।
इतना बोल कर टोकरी राजे को दिया और वहाँ से चले गए।
राजा रानी के पास गया और सारी बात बताई। रानी ने उस टोकरी में अपना एक कंगन हाथ से उतार कर टोकरी में रखा और वो दो गो गए।
राजा और रानी खुश हुये की अब उनके राज में किसी भी वस्तु की कमी नही होगी और वो अपना राज की अछि तरह से देख भाल कर पाएंगे।
माग़र अब भी राजा रानी खुश नही थे।
किउंकि उनके मन मे बार बार जे ही ख्याल आ रहा था कि उनकी कोई संतान नही है।
कुछ दिन बीत जाने के बाद एक दिन द्वारपाल राजा और रानी से आ कर बोला।
महाराज एक वियक्ति जिसका नाम भोला है। आपसे भेंट करने की अनुमति चाहता है। साथ मे उसके उसकी पत्नी सुलेखा और नावजात बच्चा भी है।
राजे ने आने की अनुमति दे दी।
भोला राजा और रानी के पास आते ही परनाम किया और बोला महाराज आपकी कोई संतान नही है। इस लिये हम अपनी संतान को आपको देने आएँ है।
आज से आप दोनों ही इसके माता पिता है।
राजा कुछ बोलता इस से पहले ही रानी भागती हुई आई और बच्चे को सुलेखा की गोद मे उठा लिया।
और गले से लगा लिया।
और भोले और सुलेखा का धन्यवाद करने लगी।
राजा जे देख कर कुछ बोल नही पाया। राजे ने भोला और सुलेखा को बड़े धयान से देखा वह चेहरे से तो खुश नजर आ रहे थे माग़र कहीं दर्द भी है। राजे ने महसूस किया।
राजा रानी से बोला रानी इस बच्चे को वापस कर दो हमारी संतान नही है।
हम सह लेंगे माग़र एक माँ से उसके बच्चे को अलग करना सही नही है।
जे सुन कर भोला और उसकी पत्नी हाथ जोड़ कर राजा और रानी से विनती करने लगे। कि इस बच्चे को अपनी संतान मान कर अपना ले
राजा रानी जे देख कर हैरान थे कि अपने बच्चे को हमे देने के लिये इतनी पराथना किउं कर रहे है।
राजे ने पूछा आप अपने बच्चे को हमें किउं देना चाहते है।
फिर भोला बोला महाराज हमें श्राप मिला है। बारह दिन के बाद अगर हमने इस बच्चे किसी को नही दिया। जिनकी कोई संतान नही। तो तेरवें दिन इस बच्चे की मृत्यु हो जाएगी।
भोले ने अपनी सारी कहानी सुनाई
महाराज आज हमारे बच्चे के जन्म को बारह दिन हो गए है।
किर्पया आप इस बच्चे को अपनी संतान के रूप में अपनाएं।
राजे ने सोचते हुये कहा आप विश्राम करें।
हम कुछ देर में अपना फैसला सुनाएंगे।
राजा कुछ सोचने के लिये एकांत में चले गए रानी भी बच्चे को गोद मे लिये ही राजे के पीछे पीछे चली गई।
रानी ने देखा राजा बड़ा दुखी और उदास है।
रानी के पूछने पर।
राजा बोला मेरे राज के निवासी अपनी संतान को हमें दे कर चले जाएंगे। और सारी जिंदगी। आंसू बहते रहेंगे और अपने बच्चे के बारे में सोचते रहेंगे।
जे सोच कर में कैसे खुश रह सकता हूँ।
रानी भी सोच में पड़ गई। फिर रानी बोली महाराज किउं ना हम बच्चे को उस टोकरी में रख कर एक बच्चे से दो बच्चे कर लें और इस बच्चे को हम रख लेंगे और दूसरे बच्चे को भोला और सुलेखा को दे देंगे।
राजे ने जैसे ही जे बात सुनी मानो खुशी की लहर चेहरे पर आ गई।
जैसा सोचा वैसा ही किया। बच्चे को टोकरी में रखा और एक बच्चे से दो बच्चे हो गऐ।
राजे ने एक बच्चे को उठाया रानी ने जिस बच्चे को टोकरी ने रखा था वो बच्चा रानी ने उठाया।
दोनों भोला और उसकी पत्नी के पास आ गए।
राजे ने कहा जे लो तुम्हारा बच्चा।
भोला और उसकी पत्नी निराशा भरी नजरों से राजे की तरफ देखने लगे।
तभी राजे ने टोकरी की सारी बात दोनों को कह डाला। और कहा जे बच्चा आपका ही है माग़र आपको जो श्राप मिला है। वो रानी की गोद मे जो बच्चा है उसके लिये है।
इस बच्चे के लिये नही।
आप इस बच्चे को ले जाएं इसे कुछ नही होगा
भोला और उसकी पत्नी समझ गए और बच्चे को ले कर खुशी खुशी घर चले गए।
राजा और रानी भी खुश हो गए बच्चे को पा कर। बच्चा बड़ा हो कर एक अछा राजकुमार बना, और अपने माँ बाप के साथ खुशी खुशी जीवन बिताने लगे।
Raja Rani ki kahani – जादूई टोकरी
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