एक राजा की सात रानियों की कहानी एक प्रसिद्ध भारतीय लोककथा है। यह कहानी हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और उन्हें स्वीकार करने की शिक्षा देती है।

कहानी कुछ इस प्रकार है:

एक बार एक राजा था जिसकी सात रानियां थीं। राजा सभी रानियों से बहुत प्यार करता था, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। एक दिन, राजा ने अपने मंत्री से सलाह ली और मंत्री ने बताया कि एक संत के पास जाना होगा, जो उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दे सकते हैं।

राजा ने संत के पास जाकर अपनी समस्या बताई। संत ने राजा को एक फल दिया और कहा कि इसे अपनी सबसे प्रिय रानी को खिलाएं, जिससे उन्हें संतान प्राप्त होगी। राजा ने सोचने लगे कि फल किस रानी को दिया जाए, क्योंकि सभी रानियां उन्हें समान रूप से प्रिय थीं। अंततः उन्होंने फल को सात टुकड़ों में बांटकर प्रत्येक रानी को एक-एक टुकड़ा खिलाया।

कुछ समय बाद, सभी सात रानियां गर्भवती हो गईं और नौ महीने बाद सात सुंदर पुत्रों को जन्म दिया। राजा बहुत खुश हुए और राज्य में आनंद मनाया गया। लेकिन समय के साथ, राजा ने देखा कि सभी बेटे राजा बनने की महत्वाकांक्षा रखते थे। वे आपस में लड़ने लगे और राज्य में अशांति फैल गई।

राजा ने बहुत प्रयास किया कि सभी बेटे आपस में मिलकर रहें, लेकिन उनकी आपसी रंजिश बढ़ती गई। अंत में, राजा ने फैसला किया कि राज्य को सात हिस्सों में बांट दिया जाए और प्रत्येक बेटे को एक-एक हिस्सा दे दिया जाए। इस प्रकार राज्य का विभाजन हो गया और सभी बेटों को उनका हिस्सा मिल गया।

कहानी का संदेश है कि भौतिक वस्तुओं और सत्ता की चाहत व्यक्ति को आपस में विभाजन और संघर्ष की ओर ले जा सकती है। प्यार, एकता और समझदारी से ही जीवन में सच्ची सुख-शांति प्राप्त होती है।

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