Sheikh Chilli Ki Kahani – Khayali Pulaav | खयाली पुलाव: शेखचिल्ली की कहानी

 

एक दिन सुबह-सुबह मियां शेख चिल्ली बाज़ार पहुँच गए। बाज़ार से उन्होने अंडे खरीदे और उन अंडों को एक टोकरी नें भर कर अपने सिर पर रख लिया, फिर वह घर की ओर जाने लगे। घर जाते-जाते उन्हे खयाल आया कि अगर इन अंडों से बच्चे निकलें तो मेरे पास ढेर सारी मुर्गियाँ होंगी। वह सब मुर्गियाँ ढेर सारे अंडे देंगी। उन अंडों को बाज़ार में बेच कर मैं धनवान बन जाऊंगा। अमीर बन जाने के बाद मै एक नौकर रखूँगा जो मेरे लिए खरीदारी करेगा। उसके बाद मैं अपनें लिए एक महल जैसा आलीशान घर बनवाऊंगा। उस बड़े से घर में हर प्रकार की भव्य सुख-सुविधा होगी।

भोजन करने के लिए, आराम करने के लिए और बैठने के लिए उसमें अलग-अलग कमरे होंगे। घर सजा लेने के बाद मैं एक गुणवान, रूपवान और धनवान लड़की से शादी करूंगा। अपनी पत्नी के लिए भी एक नौकर रखूँगा और उसके लिए अच्छे-अच्छे कपड़े, गहने वगैरह ख़रीदूँगा। शादी के बाद मेरे 5-6 बच्चे होंगे, बच्चों को मैं खूब लाड़ प्यार से बड़ा करूंगा। और फिर उनके बड़े हो जाने के बाद उनकी शादी करवा दूंगा। फिर उनके बच्चे होंगे। फिर मैं अपने पोतों के साथ खुशी-खुशी खेलूँगा।

मियां शेख चिल्ली अपने ख़यालों में लहराते सोचते चले जा रहे थे तभी उनके पैर पर ठोकर लगी और सिर पर रखी हुई अंडों की टोकरी धड़ाम से ज़मीन पर आ गिरी। अंडों की टोकरी ज़मीन पर गिरते ही सारे अंडे फूट कर बरबाद हो गए। अंडों के फूटने के साथ साथ मियां शेख चिल्ली के खयाली पुलाव जैसे सपनें भी टूट कर चूर-चूर हो गए।

(गोपाल मिश्रा)

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