Bhoot Ki Kahani – Bhoot Ka Bhay भूत का भय
उत्तराखंड के पीरगढ़ नामक गांव में अब्दुल और उसके साथी रहा करते थे। अब्दुल बेहद ही निडर प्रवृत्ति का व्यक्ति था। अब्दुल अपने साथियों के साथ साहस पूर्ण बातें किया करता था और खेल भी प्रतिस्पर्धा वाला खेला करता था। गांव में कुछ दिनों से भूत के चर्चे चारों ओर हो रहे थे। गांव के बाहर एक श्मशान घाट था , वहां किसी के देखे जाने की कहानी पूरे गांव में चल रही थी। अब्दुल के साथियों ने एक दिन इस बात पर चर्चा शुरू कर दी , अब्दुल ने बड़े साहस के साथ कहा कि भूत – वूत नहीं होता। यह सब हमारा वहम होता है। इस पर उसके साथियों ने अब्दुल से कहा कि भूत नहीं होता है तो तुम क्या श्मशान घाट जाकर दिखा सकते हो ?
अब्दुल ने कहा क्यों नहीं ! मैं भूत से नहीं डरता।
शर्त हो गई अब्दुल ने तय किया कि , वह रात के अंधेरे में जाकर श्मशान घाट में कील गाड़कर आएगा
और कील को वह सवेरे सभी को दिखाएगा।
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अमावस्या की काली रात थी , इतनी भयंकर काली रात की अपना ही हाथ नहीं दिख रहा था। अब्दुल अपने दोस्तों के पास से उत्साह में शमशान घाट जाने को निकला। रास्ते में उसे कुछ संकोच और शंका होने लगी, लोगों की कहानियां उसके दिमाग में धीरे – धीरे चलने लगी। उन्होंने श्मशान घाट के पास किसी आत्मा को भटकते हुए देखा था , और न जाने कितनी ही कहानियां अब्दुल के दिमाग में चलने लगी। किंतु वह लौट कर जाता तो सभी उसका मजाक बनाते और उस पर हंसते। अब्दुल अब श्मशान घाट के पास पहुंचने वाला था, कि उसके सामने एक तरफ कुआं है , एक तरफ खाई की स्थिति पैदा हो गई।
लौटकर जाने मे जग हंसाई का भय और श्मशान घाट में भूत का भय।
किंतु निर्भय होकर अब्दुल श्मशान घाट पहुंचा और वहां जमीन पर कील गाड़ कराने की बात थी।
वह नीचे बैठा उसने धीरे – धीरे किल को जमीन में गाड़ना शुरू किया।
किल गाड़ने के लिए वह हथोड़ी लेकर गया था।
किंतु हथौड़ी से आवाज ज्यादा तेज नहीं करना चाह रहा था कि कोई उसकी आवाज सुन ले।
क्या वो कामयाब हुआ
जैसे – तैसे उसने हथौड़ी की सहायता से किल जमीन में गाड़ दी, और कुछ साहसपूर्ण भाव से उठ कर जाने के लिए तैयार हुआ। तभी उसने महसूस किया कि उसके कुर्ते को कोई नीचे खींच रहा है, उसके हाथ – पांव कांपने लगे और पूरा शरीर ठंडा होने लगा, वह वही मूर्छा खाकर गिर गया। अब्दुल के दोस्त जो उसके पीछे – पीछे छिप कर आए थे, उन लोगों ने देखा और अब्दुल को जल्दी से उठाकर गांव की ओर ले गए, वहां उसके चेहरे पर पानी का छींटा मारा गया काफी समय बाद वह डरते हुए उठा तो उसने पाया कि वह गांव में है। अब्दुल कहने लगा कि मैंने किल को जमीन में गाड़ दिया था, किंतु उठने लगा तो कोई उसके कुर्ते को खींच रहा था।
असली कारण क्या था ?
जिसके कारण वह डर गया था अब्दुल के दोस्तों ने बताया कि कोई उसका कुर्ता खींच नहीं रहा था , बल्कि उसने खुद ही अपने कुर्ते के ऊपर से किल जमीन में गाड़ा था, जिसके कारण वह खड़ा हुआ तो उसे लगा कि कोई उसका कुर्ता खींच रहा है। इस घटना पर अब्दुल ने सभी लोगों से माफी मांगी, किंतु सभी लोग उसके साहस से प्रसन्न हुए और उसे शाबाशी देते हुए उसके साहस की तारीफ करने लगे।
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